भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties in Hindi) नैतिक दायित्वों का एक समूह है।इसका पालन सभी भारतीय नागरिकों के द्वारा किया जाना चाहिए ।
भारत के मूल संविधान में मौलिक कर्तव्यों का वर्णन नहीं किया गया था। इसे भारतीय संविधान में स्वर्ण सिंह समिति के सिफारिश पर शामिल किया गया है। मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties in Hindi) के लिए विचार सोवियत संघ के संविधान से ग्रहण किया गया है।
भारत के एक नागरिक होने के नाते हम सभी अपने मौलिक अधिकारों की बातें तो करते हैं, लेकिन मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) के बारे में अक्सर भूल जाते हैं।
आंतरिक आपातकाल (1975 – 1977) के दौरान मौलिक कर्तव्यों की आवश्यकता महसूस की गई थी। , इसके लिए सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता में एक समिति बनायीं गयी।
सरदार स्वर्ण सिंह समिति के द्वारा सिफारिश की गई कि इसे एक अलग अध्याय के रूप में भारत के संविधान में शामिल किया जाना चाहिए।
इस सिफारिश के आधार पर ही, भारतीय संविधान के भाग IV A जो मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties in Hindi) से संबंधित है, को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा संविधान में शामिल किया गया ।
शुरुआत में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (A) के तहत 10 मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties Hindi me) को जोड़ा गया था। बाद में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा इस सूची में एक और कर्तव्य जोड़ा गया।
इस प्रकार वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 11 मौलिक कर्त्तव्य (11 Fundamental Duties in Hindi) शामिल हैं।
आइए ,इस पोस्ट में आगे 11 मौलिक कर्तव्यों ( 11 Fundamental Duties in Hindi) के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मौलिक कर्तव्य क्या हैं? | What are fundamental duties?
भारत के मूल संविधान में नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्यों और दायित्वों का उल्लेख नहीं किया गया था। यह आशा की गई थी कि स्वतंत्र भारत के भारत के नागरिक स्वेच्छा से ही अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे।
हालाँकि,इस आशा के अनुसार चीजें नहीं हुईं। इसलिए, स्वर्ण सिंह समिति के द्वारा सिफारिश किए जाने पर 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के आधार पर अनुच्छेद 51-ए के तहत संविधान के भाग IV-ए में दस मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया ।
मौलिक कर्तव्यों का उद्देश्य भारतीय नागरिकों के द्वारा निरंतर अनुस्मारक के रूप में कार्य किया जाना है,और अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संबंध के कारण लोकतांत्रिक व्यवहार के कुछ बुनियादी मानदंडों को पालन करना है।
संविधान के अनुच्छेद 51-ए में कुल ग्यारह कर्तव्यों की सूची है।
भारतीय संविधान के तहत कर्तव्य की धारणा | The notion of duty under the Indian Constitution
प्राचीन काल से ही , कर्तव्य की भावना के रूप में “धर्म” को भारतीय जीवन शैली में शामिल किया गया है।
भारतीय संविधान में भाग IVA को शामिल किया जाना,भारतीय जीवन शैली का संवैधानिक समर्थन करना है: – सहिष्णुता, आपसी सम्मान, बहुलवाद, महिलाओं की गरिमा, अन्य बातों के साथ।
अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू के जैसे हैं – अभिन्न, अविभाज्य और सहसंबंधी।
भारत के प्रत्येक नागरिकों के द्वारा कर्तव्यों का पालन करने से भाग III और IV के वादों को पूरा किया जा सकेगा।
कर्तव्य असामाजिक गतिविधियों के विरुद्ध चेतावनी और अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है।
कर्तव्य मूक दर्शक के बजाय राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में देश के नागरिकों की सक्रिय भूमिका को प्रदर्शित करता है। यह राष्ट्र के उत्थान में सहयोग देने के लिए नागरिकों को प्रेरित करता है।
भारत में 11 मौलिक मौलिक कर्त्तव्य | 11 Fundamental Duties In India
( 1).51A (a) :- प्रत्येक नागरिक के द्वारा संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
(2).51 A (b):– उन महान आदर्शों को अपने ह्रदय में संजोना और उनका पालन करना, जिन्होंने हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रेरित किया था।
(3).51 A (c):- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना तथा उसकी रक्षा करना।
(4).51 A (d) :- देश की रक्षा करना और जरूरत पड़ने पर या कहे जाने पर राष्ट्र की सेवा के लिए अग्रसर रहना ।
(5).51 A (e) :- भारत के सभी लोगों के बीच धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या अनुभागीय विविधताओं से उपर उठकर सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना; महिलाओं के सम्मान के लिए कुप्रथाओं का त्याग करना।
(6).51 A (f):- हमारे देश की मिली-जुली संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देना और इसको संरक्षण प्रदान करना।
(7).51 A (g):- वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण को महत्व देना, उसे संरक्षण प्रदान करना और उसमें सुधार करना तथा जीवित प्राणियों के प्रति दयाभाव रखना।
(8).51 A (h):- वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद, जांच और सुधार की भावना को विकसित करना।
(9).51 A (i):- सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना और हिंसा से दूर रहना।
(10).51 A (j) :- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करना ताकि राष्ट्र निरंतर प्रयास और उपलब्धि के उच्च स्तर को प्राप्त कर सके।
(11).51 A (k):- माता-पिता या अभिभावक के द्वारा अपने बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करने का कर्तव्य, छह से चौदह वर्ष की आयु के बीच (86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया) के मामलों में।
नोट : स्वर्ण सिंह द्वारा अनुशंसित करों का भुगतान और चुनावों में मतदान करना मौलिक कर्तव्यों में शामिल नहीं किया गया है।
स्वर्ण सिंह समिति 1976 की रिपोर्ट | Swaran Singh Committee Report 1976
✓स्वर्ण सिंह समिति के द्वारा यह सिफारिश किया गया कि संविधान में एक अलग अध्याय जोड़ा जाए।
✓इस समिति ने इस बात पर बल दिया कि नागरिकों को इस बात की जानकारी अवश्य होनी चाहिए कि अधिकारों का आनंद लेने के अलावे, उनकी अपने देश के प्रति कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।इस समिति ने संविधान में आठ मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने की सिफारिश की।
✓1976 में, केंद्र सरकार के द्वारा इन प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया गया और 42वें संविधान संशोधन अधिनियम को अपनाया गया।इस संशोधन के द्वारा संविधान में एक नया खंड जोड़ा गया, जिसे भाग IVA के रूप में जाना जाता है।
✓नए खंड में केवल एक लेख, अनुच्छेद 51A शामिल किया गया था। उस समय पहली बार दस आवश्यक नागरिक कर्तव्यों का एक कोड स्थापित किया गया। बाद में 86 वां संविधान संशोधन अधिनियम,2002के माध्यम से एक और मौलिक कर्तव्य को शामिल किया गया।
✓दिलचस्प बात ये है कि समिति की सभी सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया गया था। इसलिए उनके द्वारा सिफारिश किए गए सभी सिफारिशों को संविधान में शामिल नहीं किया गया है ।
जैसे :-
• संसद के द्वारा ऐसे दंड या दंड को लागू करने का प्रावधान किए जा सकते हैं ,जो किसी भी कर्तव्यों का पालन करने से इनकार करने या किसी भी गैर-अनुपालन के लिए उपयुक्त समझा जाए ।
• एक या अधिक कर्तव्यों के उल्लंघन होने के आधार पर इस तरह के दंड या दंड को लागू करने वाले किसी भी कानून को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
•मौलिक अधिकार (Fundamental Duties in Hindi) या संविधान के किसी अन्य प्रावधान का उल्लंघन होना।
• करों का भुगतान करना भी नागरिकों का एक मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties in Hindi) माना जाना चाहिए।
भारत में मौलिक कर्तव्यों की विशेषताएं | Features Of Fundamental Duties
भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों की विशेषताएं (Features Fundamental Duties in Hindi) निम्नलिखित हैं :-
मौलिक कर्तव्य मुख्य रूप से भारतीय परंपरा, पौराणिक कथाओं, धर्मों और प्रथाओं, भारतीय संस्कृतियों से प्राप्त होते हैं। ये कर्तव्य भारतीय जीवन शैली के लिए आवश्यक कार्यों को संहिताबद्ध करते थे।
मौलिक कर्तव्यों की कुछ उल्लेखनीय विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
मौलिक कर्तव्यों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-
(1).नागरिक कर्तव्य
(2).नैतिक कर्तव्य
(1).नागरिक कर्तव्य:- संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना, नागरिक कर्तव्य है।
(2).नैतिक कर्तव्य:- स्वतंत्रता संग्राम के महान आदर्शों को संजोए रखना नैतिक कर्तव्य है।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि मौलिक कर्तव्य केवल भारतीय नागरिकों पर लागू होते हैं, विदेशियों पर लागू नहीं होते हैं, जबकि मौलिक अधिकार नागरिकों और विदेशियों दोनों पर लागू होते हैं।
✓राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (DPSP) की तरह मौलिक कर्तव्य भी गैर-न्यायोचित हैं। अर्थात , नागरिकों द्वारा अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करने में विफलता नीति निर्देशक तत्व के जैसे ही दंडनीय नहीं है।
✓मौलिक कर्तव्य एक आचार संहिता की प्रकृति के समान हैं, और इनके लिए कोई कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं है क्योंकि यह गैर न्यायोचित हैं।
✓हालांकि, मौलिक कर्तव्य कानूनी प्रवर्तन के अधीन हैं। संसद को मौलिक कर्तव्यों के किसी भी उल्लंघन के लिए कानून पारित करने का अधिकार प्राप्त है। संसद कानून बनाकर लागू कर सकती है।
वर्मा समिति द्वारा समीक्षा किए गए मौलिक कर्तव्य | Fundamental Duties Reviewed by Verma Committee
वर्ष 1998 में, कर्तव्यों को सिखाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम को लागू करने के हेतु एक रणनीति तैयार करने और एक कार्यप्रणाली विकसित करने के लिए न्यायमूर्ति वर्मा समिति का गठन किया गया था।
इस समिति के द्वारा यह सुझाव दिया गया था कि संविधान के अनुच्छेद 51A में संशोधन कर चुनावों में मतदान की जिम्मेदारी को जोड़ दिया जाए।इस समिति का मानना था कि ऐसा करने से शासन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों का सक्रिय रूप से भाग लेना और करों का भुगतान करना संभव किया जा सकेगा।
इस समिति ने कई मौलिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए कानूनी प्रावधानों को भी रेखांकित किया, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :-
✓भारतीय संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का अनादर करना निषिद्ध है।
✓राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम (1971)।
✓नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 4 (1955) के तहत जाति और धर्म से संबंधित अपराध को दंडनीय अपराध माना गया हैं।
✓1967 का गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम किसी सांप्रदायिक संगठन को गैरकानूनी संघ घोषित करने की अनुमति प्रदान करता है।
Read it:-
•bhartiya sanvidhan mein kitni bhashaon ko manyata di gai hai
भारत में मौलिक कर्तव्यों का महत्व (भाग IV-A) | Importance Of Fundamental Duties In India (Part IV-A)
मौलिक कर्तव्यों का महत्व इस प्रकार है :-
✓यह भारतीय नागरिकों को असामाजिक और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के प्रति आगाह करता है।
✓यह नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का आनंद लेने के साथ ही कुछ मौलिक कर्तव्यों का भी पालन करने की याद दिलाता है।
✓मौलिक कर्तव्य नागरिकों के बीच अनुशासन और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देता हैं।यह नागरिकों को राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति में भागीदारी के महत्व को समझने में भी मदद करता हैं।
✓मौलिक कर्तव्य का उपयोग अदालतों द्वारा किसी कानून की संवैधानिक वैधता को सत्यापित करने हेतु किया जाता है।
भारत में मौलिक कर्तव्यों की आलोचना | Criticism Against Fundamental Duties In India
✓भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्यों में महत्वपूर्ण कर्तव्य शामिल नहीं हैं।
जैसे:-
• वोट डालना,
• करों का भुगतान करना आदि।
✓प्रवर्तन के लिए इन कर्तव्यों पर अदालत में सवाल नहीं उठाया जा सकता है। क्योंकि मौलिक कर्तव्य प्रकृति में गैर-न्यायिक हैं। यह भारतीय संविधान में उनके अस्तित्व के उद्देश्य पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
✓कुछ मौलिक कर्तव्य सामान्य शब्दों में नहीं हैं ।इसे समझना थोड़ा मुश्किल है।इन शर्तों के लिए अलग-अलग व्याख्याएं की जाती हैं।
उदाहरण के लिए:-
• मिश्रित संस्कृति,
•वैज्ञानिक स्वभाव आदि।
✓कुछ आलोचकों के द्वारा दावा किया जाता है कि ये बुनियादी कर्तव्य हैं, जिनका पालन लोगों द्वारा किया जाएगा, भले ही उनका संविधान में उल्लेख कंही नहीं किया गया हो।
आलोचकों के द्वारा संविधान में उनके स्थान पर भी तर्क किए जाते हैं।इन आलोचकों के अनुसार मौलिक कर्तव्यों को,अधिकारों के बराबर रखने के लिए भाग IV ( राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत) के बजाय भाग III (मौलिक अधिकार) के बाद रखा जाना चाहिए ।
न्यायिक व्याख्याएं | Judicial Interpretations
✓सुप्रीम कोर्ट (1992) के द्वारा फैसला सुनाया गया है कि:– किसी भी कानून की संवैधानिक वैधता का निर्धारण करने में, यदि विचाराधीन कानून मौलिक कर्तव्य को प्रभावी बनाना चाहता है, तो वह ऐसे कानून को कला के संबंध में ‘उचित’ मान सकता है।इस प्रकार से यह ऐसे कानून को असंवैधानिकता से बचाता है।
✓कर्तव्यों के उल्लंघन को रोकने के लिए राज्य के द्वारा कानून बनाए जा सकते है।
✓रिट जारी कर के कर्तव्यों को लागू नहीं किया जा सकता है।
✓कर्तव्य केवल भारतीय नागरिकों तक ही सीमित हैं।
उम्मीद करते हैं कि भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties in Indian Constitution in Hindi) के बारे में आपको पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसे पढ़ कर आपको अच्छा लगा होगा। ऐसी ही और जानकारी हासिल करने के लिए इस वेबसाइट के साथ हमेशा बना रहे हैं।
अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। 💐💐
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